CATEGORIES

April 2024
MTWTFSS
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
2930 
April 26, 2024

शिवरात्री यानि.. जीव और जगत का योग

Nalini Raval

3 Mar. Vadodara: शिव, शंकर,महादेव ,शूलपणि भोलेनाथ, जैसे हजारों नामों से प्रसिद्ध भगवान शिव का नियमित पूजन द्वैत से अद्वैत की ओर बढ़ने का श्रेष्ठ मार्ग है।भगवान शिव के मंदिर भी उन्ही की तरह बिल्कुल सादे होते है।

नारद पुराण अनुसार भगवान शिव को प्रसन्न करने किए जाते व्रत तीन प्रकार के होते है। महाशिवरात्रि व्रत के साथ प्रति सोमवार व्रत,समय प्रदोष व्रत और सोलह सोमवार का व्रत।भगवान शिव की कथाकर व्रत किया जाता है। एक कथा कुछ इस प्रकार की है।

एक अति धनवान,सुख समृद्धि से भरपूर जीवन जीते साहूकार के पास सब कुछ था, पर केवल एक संतान की कमी थी। उसने प्रति सोमवार का व्रत प्रारंभ कर भगवान शिव से संतान प्राप्ति की गुहार लगाई। वह पूरे तन, मन, धन, से शिव पूजन करता था। साहूकार के व्रत माता पार्वती प्रसन्न हुई ,और शिव से अनुरोध किया कि साहूकार को पुत्र का वरदान दें।शिवजी ने कहा कि ,इंसान को उसके कर्मों के अनुसार ही मिलता है। पर माता पार्वती के अनुरोध पर भगवान शिव ने उसे पुत्र का वरदान तो दिया,पर बालक की आयु केवल बारह वर्ष की ही दी।

वक्त बीता…..साहूकार की पत्नी ने पुत्र को जन्म दिया।जब यह बालक ग्यारह साल का हुआ ,तो साहूकार ने उसके मामा के साथ उसे काशी पढ़ने भेजा,और ढेर सारा धन देकर मामा से कहा कि जहा भी ठहरो ,यज्ञ करना। बालक के ठीक बारहवें जन्मदिन पर वे काशी पहुंचे , जहा मामा ने यज्ञ किया लेकिन बालक ने कहा की उसकी तबीयत ठीक नहीं है ,वह आराम करेगा। और शिवजी के वरदान अनुसार उसकी मृत्यु हो गई। उसी समय शिव पार्वती वही से गुजरे,माता पार्वती रोने की आवाज सुनकर बोली, उन्हें दर्दिला रोना अच्छा नही लगता,भगवान इस बालक जीवन दान दें। भगवान ने नीचे देखा तो यह तो वही बालक था। माता पार्वती के आग्रह पर शिवजी ने बालक को जीवन दान दिया, और बालक जीवित हो गया।

इस तरफ उसके माता पिता अन्नजल त्याग कर बैठे थे, कि बेटे की मृत्यु की खबर आई तो वे भी प्राण त्याग देंगे। पर बालक के जीवित होने की और उसकी वापसी की खबर से उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा,और भगवान शिव का अंतर से आभार व्यक्त किया।
ऐसे ही हैं,भगवान शिव। वे सबकी इच्छा पूर्ण करते हैं।