द इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के संपादकीय के हवाले से अनुमान लगाया गया है कि भारत में इस साल 1 अगस्त तक कोरोना महामारी से 10 लाख लोगों की मौत हो जाएगी। अगर ऐसा हुआ तो मोदी सरकार इस राष्ट्रीय तबाही के लिए जिम्मेदार होगी, क्योंकि कोरोना के सुपर स्प्रेडर के नुकसान के बारे में चेतावनी के बावजूद सरकार ने धार्मिक आयोजनों को अनुमति दी, साथ ही कई राज्यों में चुनावी रैलियां कीं।
सरकार ने पिछले साल कोरोना के शुरूआती दौर में महामारी को नियंत्रित करने में बेहतरीन काम किया था, लेकिन दूसरे वेव में सरकार ने बड़ी गलतियां की हैं। महामारी के बढ़ते संकट के बीच सरकार को एक बार फिर जिम्मेदारी और पारदर्शिता के साथ काम करना चाहिए। संपादकीय में केंद्र सरकार को दो तरफा रणनीति पर काम करने का सुझाव दिया गया है। पहला- भारत को वैक्सीनेशन प्रोग्राम बेहतर ढंग से लागू करना चाहिए और इसे तेजी के साथ आगे बढ़ाने पर काम हो। दूसरा- सरकार जनता को सही आंकड़े और जानकारियां मुहैया करवाए।
मोदी सरकार कोरोना महामारी को नियंत्रित करने के बजाय ट्विटर पर हो रही आलोचनाओं और खुली बहस पर लगाम लगाने में ज्यादा जोर लगा रही है। भारत सरकार की वैक्सीन पॉलिसी की भी आलोचना की है। उसने लिखा कि सरकार ने राज्यों के साथ नीति में बदलाव पर चर्चा किए बिना अचानक बदलाव किया और 2% से कम जनसंख्या का टीकाकरण करने में ही कामयाब रही।
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